जयप्रकाश बर्नवाल
बेल्थरारोड (बलिया)। संसार में चल रहे कलिकाल के प्रथम चरण में क्षेत्र के ग्राम डूहा विहरा में 40 दिवसीय 108 कुण्डीय कोटि होमात्मक अद्वैत शिवशक्ति राजसूय महायज्ञ का शुभारम्भ जल कलश यात्रा निकाल कर बुधवार से प्रारम्भ किया गया।
दर्जनों घोडों संग, पीले बस्त्रों को धारण कर हजारों की संख्या में महिला व पुरुषों ने श्री बनखण्डीनाथ (श्री नागेश्वरनाथ महादेव) मठ डूहां के प्रांगड़ से जल कलश यात्रा निकला। और लगभग दो किमी लम्बी कतार में गगनभेदी जयकारों, बैण्ड बाजों संग महिलाओं की भक्तिमय सुरीली गीतों के बीच पूरा वातावरण भक्तिमय बन गया था। यह यात्रा अद्वैत शिवशक्ति धाम डूहां पहुंचा जहां यज्ञाचार्य पंडित रेवती रमण तिवारी संग 51 सहयोगी विद्वानों की टीम ने विधि विधान से सरयू मां के पूजन का कार्य सम्पनन कराया। मुख्य यजमान के रुप में अद्वैत शिवशक्ति परमधाम डूहां के परिबज्रकाचार्य स्वामी इश्वरदास ब्रह्मचारी के प्रतिनिधि के रुप में श्रद्धानाथ भारती एवं आयोजन समिति के अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह ने निभाया। उपरान्त मिट्टी के सुसज्जित कलश में जल लेकर महिला व पुरुषों ने यज्ञ मण्डप पहुंच कर मण्डप स्थल की परिक्रमा कर सभी कलशों को प्रतिष्ठापित करने का काम किया। वाराणसी से पधारे जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रा नन्द सरस्वती जी महराज एवं मथुरा वृन्दाबन से आमंत्रित साध्वी आर्या पंडित जुल कलश यात्रा में शामिल होकर आम जन को दर्शन देते हुए जुलूस की शोभा बढ़ाने का काम किया।
अंत में सभी को यही स्थल पर महाप्रसाद का वितरण किया गया।
इस कार्यक्रम में सिकन्दपुर थाने के प्रभारी निरीक्षक विकास चन्द पाण्डेय के निर्देशन में पुलिस की चुस्त ब्यवस्था देखने को मिली।
गुरु कृपा से शुरू हुआ 40 दिवसीय इस 108 कुण्डीय कोटि होमात्मक अद्वैत शिवशक्ति राजसूय महायज्ञ40 दिवसीय इस 108 कुण्डीय कोटि होमात्मक अद्वैत शिवशक्ति राजसूय महायज्ञ, आयोजन टीम के अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह ने बताया कि जन कल्याण के लिए राजसूय महायज्ञ त्रेता युग के प्रथम चरण में सूर्यवंशी राजा हरिश्चन्द्र ने अयोध्या में और अजातशत्रु महाराज युधिष्ठिर ने द्वापर युग के अंतिम चरण में खाण्डव प्रस्थ की राजधानी इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) में किया था। वही राजसूय महायज्ञ कलियुग के प्रथम चरण में अद्वैत शिवशक्ति परमधाम डूहां के परिबज्रकाचार्य स्वामी इश्वरदास ब्रह्मचारी जो मेरे गुरु हैं कि प्रेरणा से सरयू नदी के दक्षिण पवित्र तटवर्ती स्थल ग्राम डूहां विहरा में जन सहयोग से शुरु किया गया। जो 11 दिसम्बर से आगामी 19 जनवरी तक जारी रहेगा।